रकुल प्रीत सिंह का नेपोटिज्म पर बयान: ‘मुझे भी नुकसान हुआ, लेकिन मैं कड़वाहट में विश्वास नहीं करती’
बॉलीवुड में नेपोटिज्म यानी परिवारवाद हमेशा से एक चर्चा का विषय रहा है, और इस पर अक्सर बहस होती रहती है। हाल ही में अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे नेपोटिज्म ने उनकी भी कुछ फिल्मों को प्रभावित किया, लेकिन इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य या काम पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।
नेपोटिज्म की सच्चाई स्वीकार करना जरूरी है।रकुल प्रीत सिंह ने रणवीर अल्लाहबादिया के पॉडकास्ट पर खुलासा किया कि नेपोटिज्म से उनका सामना भी हुआ है। उन्होंने बताया कि कुछ फिल्में उनसे छीनी गईं क्योंकि उन फिल्मों में स्टार किड्स को प्राथमिकता दी गई। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह फिल्म इंडस्ट्री तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर प्रोफेशन में ऐसा होता है।
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उन्होंने कहा, “नेपोटिज्म एक हकीकत है और इसे जितनी जल्दी स्वीकार कर लिया जाए, उतना ही बेहतर है। कई बार ऐसा होता है कि मेडिकल या बिजनेस फील्ड में भी लोग अपनों को आगे बढ़ाते हैं। अगर कल को मेरे बच्चों को मदद की जरूरत पड़ेगी, तो मैं भी उन्हें सपोर्ट करूंगी।”
नेपोटिज्म के बावजूद सकारात्मकता: रकुल प्रीत ने स्वीकार किया कि उन्होंने नेपोटिज्म के कारण कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स खो दिए, लेकिन वे इसे लेकर कड़वाहट महसूस नहीं करतीं। उनका मानना है कि हो सकता है वे फिल्में उनके लिए बनी ही नहीं थीं। उनका यह नजरिया बताता है कि कैसे उन्होंने इंडस्ट्री की कठोर सच्चाई को सकारात्मकता के साथ लिया और आगे बढ़ने का फैसला किया।
रकुल ने कहा, “फिल्में मुझसे छिनी गईं, लेकिन मैं उस बारे में सोचकर बैठने वाली नहीं हूं। मुझे एक-दो दिन बुरा लगता है, लेकिन फिर मैं आगे बढ़ जाती हूं। कड़वाहट रखने का कोई मतलब नहीं है।”
रकुल प्रीत ने यह भी कहा कि अगर भविष्य में उनके बच्चे इंडस्ट्री में काम करना चाहेंगे, तो वे भी उनकी मदद करेंगी, जैसे बाकी स्टार किड्स के माता-पिता करते हैं। उनका मानना है कि हर माता-पिता अपने बच्चों को सफल होते देखना चाहते हैं, और इसमें कुछ गलत नहीं है। यह परिवारवाद का ही हिस्सा है।
फिल्मी सफर और बड़े प्रोजेक्ट्स: रकुल प्रीत सिंह की फिल्मी यात्रा भी कड़ी मेहनत से भरी रही है। हाल ही में, उन्होंने कमल हासन के साथ फिल्म इंडियन 2 में काम किया, जो 1996 की फिल्म इंडियन का सीक्वल है। यह फिल्म उनके करियर का एक बड़ा प्रोजेक्ट रहा है। साथ ही, उन्होंने फिल्म के निर्देशक एस. शंकर के साथ काम करने को एक बड़ा अनुभव बताया। वह कहती हैं, “शंकर सर के साथ काम करना एक सौभाग्य की बात है। उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया।”
अब रकुल अपनी अगली फिल्म “दे दे प्यार दे 2” पर काम कर रही हैं, जो एक रोमांटिक कॉमेडी है।
रकुल प्रीत सिंह का यह विचार बेहद महत्वपूर्ण है कि नेपोटिज्म जैसी चीजों पर फोकस करने के बजाय अपनी मेहनत और काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने नेपोटिज्म को जीवन की एक वास्तविकता के रूप में देखा और इसे अपने सपनों और करियर में बाधा नहीं बनने दिया।
रकुल प्रीत सिंह का यह इंटरव्यू उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपने करियर में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि अगर आप अपनी मेहनत और काम पर ध्यान देते हैं, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती। नेपोटिज्म जैसी चीजों को लेकर परेशान होने के बजाय आगे बढ़ना ही सही रास्ता है।
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