6 sep 2024
आज 6 सितंबर 2024 को भारतीय Share Market में भारी गिरावट देखी गई । प्रमुख सूचकांक एनएसई निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स दोनों ही लाल निशान पर बंद हुए। पिछले तीन दिनों से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
ओवरबॉट स्थिति (बहुत अधिक खरीदारी):
पिछले हफ्तों में बाजार में तेज़ी थी, जिससे कई शेयरों में अत्यधिक खरीदारी हो गई। अब निवेशक मुनाफा कमाने के लिए अपने शेयर बेच रहे हैं, जिससे बाजार में गिरावट आ रही है।
यूएस फेड की बैठक की अनिश्चितता:
इस महीने होने वाली यूएस फेडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दरों को लेकर कोई साफ़ स्थिति नहीं है। अगर यूएस फेड ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इसका असर वैश्विक बाजारों पर पड़ेगा। इस अनिश्चितता के चलते निवेशक सतर्क हो गए हैं और जोखिम लेने से बच रहे हैं।
मुनाफावसूली:
लंबे समय से बाजार में बढ़त देखी जा रही थी, और निवेशकों ने अब मुनाफा कमाने के लिए शेयर बेचना शुरू कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि शेयर बाजार में गिरावट आ रही है।
कमजोर अमेरिकी आर्थिक आंकड़े:
अमेरिका में बेरोजगारी और नौकरी के आंकड़े कमजोर आ रहे हैं, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसका असर वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा है, और भारतीय शेयर बाजार भी इससे प्रभावित हुआ है।
अमेरिकी डॉलर की दरों में उछाल:
अमेरिकी मुद्रास्फीति में बदलाव और ट्रेजरी बॉन्ड में बढ़ती मांग के कारण अमेरिकी डॉलर की दरें बढ़ गई हैं। डॉलर में मजबूती आने से विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बाजार से कम हुआ है, जिससे शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है।
अमेरिकी बाजारों में गिरावट
अमेरिकी शेयर बाजारों में कल रात भारी गिरावट देखने को मिली, जिसका असर आज भारतीय बाजारों पर भी पड़ा। अमेरिकी बाजारों में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताएं हैं। अमेरिकी निवेशक आने वाले श्रम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उनके मन में अनिश्चितता बढ़ रही है। इस वजह से अमेरिकी बाजारों में गिरावट आई, जिसका सीधा प्रभाव भारतीय बाजारों पर पड़ा।
PSU बैंकिंग सेक्टर पर दबाव
भारतीय बाजार में सभी प्रमुख सेक्टर्स में गिरावट देखने को मिली, लेकिन PSU बैंकों में सबसे ज़्यादा 2% की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, और एसबीआई जैसी बड़ी कंपनियों में गिरावट आई, जिससे बाजार पर अतिरिक्त दबाव बना।
विदेशी बाजारों का दबाव
एशियाई बाजार भी अमेरिकी गिरावट के कारण कमज़ोर बने रहे। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर में उतार-चढ़ाव और अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड यील्ड की गिरावट ने भी भारतीय बाजारों पर नकारात्मक असर डाला। इससे विदेशी निवेशकों का विश्वास डगमगाया और उन्होंने बिकवाली शुरू कर दी।
घरेलू बाजार में IPO का प्रभाव
भारतीय बाजार में आने वाले हफ्तों में कई आईपीओ लॉन्च होने वाले हैं। निवेशक इन नए आईपीओ में पैसा लगाने के लिए अपनी मौजूदा होल्डिंग बेच रहे हैं, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ रहा है। इससे द्वितीयक बाजार (सेकेंडरी मार्केट) पर नकारात्मक असर पड़ा।
तकनीकी विश्लेषण
तकनीकी रूप से, निफ्टी ने शुरुआती गिरावट के बाद 24,780 के स्तर पर थोड़ा समर्थन पाया, लेकिन अगर यह इससे नीचे जाता है, तो यह 24,500 के स्तर तक गिर सकता है। हालांकि, अगर निफ्टी 24,900 के ऊपर बंद होता है, तो थोड़ी बहुत रिकवरी की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन उम्मीदें ज़्यादा नहीं रखनी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वैश्विक बाजार स्थिर नहीं होते, तब तक भारतीय बाजारों में भी समेकन (stability) मुश्किल है।
निष्कर्ष
भारतीय बाजारों में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता, बिकवाली का दबाव, और आईपीओ की तैयारी है। निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहना चाहिए और बाजार में स्थिरता आने तक जोखिम से बचने की सलाह दी जाती है।
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